गुरुवार, 11 जून 2009

निरंतर होता सरलीकरण शिक्षा का स्तर गिरा रहा है -विपक्ष

विपक्ष

"अभी तो सहर है ,जरा सुबह तो होने दो ,
अभी तो आगाज है ,अंजाम क्यों सोचने लगे "

दिन दिन शिक्षा का बदलता स्वरूप अपने साथ कई विवाद लेकर आता है आरक्षण का ,कभी परीक्षाओं का ,कभी भाषा का एसा ही एक विवाद हमारी आज की वादविवाद प्रतियोगिता का शीर्षक बन कर हमारे सम्मुख आया है कि निरंतर होता सरलीकरण शिक्षा का स्तर गिरा रहा है श्रोताओ ,मैं इस बात से कतई सहमत नही हूँ बदलाव तो नियति का नियम है ,फ़िर हर सदी में कोई न कोई बदलाव तो होता ही है लेकिन जिस बदलाव को समाज मान्यता दे ,जो सबके हित के लिए हो ,उसे नकारना क्यों ?

हर चीज के दो पहलू होते हैं मनुष्य की प्रवृति यही रही है कि वह गलत चीज को जल्दी ग्रहण करता है इसलिए आवश्यक है कि सही रुख को विस्तार से जाना जाए सरलीकरण से हमें अनेक लाभ हुए हैं -विद्यार्थियों की पढाई में रूचि बढ़ना जो विद्यार्थी शिक्षा जटिल होने के कारण शिक्षा से जी चुराते थे ,अब उनका पढाई में मन लगाने लगा है उनमें प्रतिस्पर्धा करने का उत्साह भी जागा है
पढना आसान होगया है ,यह जानकर ग्रामीण भी आगे आएँगे वे पढाई में अपनी रूचि दिखाएंगे ,जिससे साक्षरता का प्रचार भी बढेगा और आर्थिक क्षेत्र में उन्नति भी होगी सरलीकरण के अंतर्गत पाठ्यक्रम में अनेक सुधार किए गएजिससे विद्यार्थी को पढ़ने में सुविधा हुई उन पर पढाई बोझ न पडे जिससे वे उदासीन हो जाएँ उदासीनता के कारण कुछ विद्यार्थी अपनी जीवन लीला समाप्त कर लेते हैं ,या पढाई छोड़ कर गलत रास्ते पर भटक कर अपना जीवन तथा अपने अभिभावकों की उम्मीदे दांव पर लगा देते हैं
यदि सरलीकरण न होता तो रामायण और महाभारत जैसे ग्रन्थ संस्कृत में ही पढे जाते तो सबकी समझ में न आते कितने ही आयुर्वेदिक नुस्खों ,शास्त्रों से हम अपरिचित ही रह जाते
सरलीकरण से बेरोजगारी की समस्या भी कुछ हद तक हल होगी ७०% अंक लाने वाले विद्यार्थी ८०-९०%अंक से उत्तीर्ण होंगे और नौकरी के अवसर बढेंगे
आप ही बताईए सरलीकरण के इतने लाभ होने के बावजूद उसे नकारना कहाँ की समझदारी है ?क्यों कुछ लोग शिक्षा के स्तर का बहाना बना कर विद्यार्थियों पर मायूसी और परेशानियों का बोझ डालना चाहते हैं ?कुछ लोग नही चाहते कि आज का विद्यार्थी आत्म विश्वास के बल पर जिन्दगी में आगे बढे वे आज के युग में भी लकीर के फकीर बने बैठे हैं मेरे विपक्षी मित्र का कहना कि सरलीकरण से विद्यार्थी मेहनती नही रहे ,गलत है मित्र सरलीकरण तो एक डोर है जिसके सहारे विद्यार्थी जीवन में आगे बढ़ सकता है आज के इस तेज रफ्तार के युग में सरलीकरण विद्यार्थी के लिए वह मित्रोरेल है जिसके सहारे वह सरलता सुगमता ,से अपनी मंजिल प्राप्त कर सकता है
आज हमारा देश हर क्षेत्र में प्रगतिशील है फ़िर शिक्षा के क्षेत्र में क्यों पिछडे ?क्यों वही क से कमल पर अटके रहें ,क से कर्मयोगी भी होता है सच्चा कर्मयोगी वही होता है जो सरलीकरण को अपनी वैसाखी नही अपितु अपना नया हथियार बना कर कर्मक्षेत्र में विजय प्राप्त करे
सरलीकरण की इस नई नीति के साथ ही हम नए युग से जुड़ सकेंगे
"आज पुरानी जंजीरों को तोड़ चुके हैं
क्यों देखें उस मंजिल को जो छोड़ चुके हैं
नया दौर है ,नई उमंगे ,अब है नई कहानी
युग बदला ,बदलेगी नीति ,बदली रीति पुरानी
"
समाप्त

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