शुक्रवार, 26 जून 2009

बदला

बदला .......बदला ..................बदला ..............कितना उन्माद और अविवेक से लिया गया निर्णय होता है इसको बढावा देते हैं अपमान की भावना ,ईर्ष्या ,द्वेष और नीचा दिखाने की प्रवृत्ति जितनी यह भावना प्रबल होती है बदला भी उतना भयानक ,गम्भीर और दर्दनाक होता है इतिहास गवाह है कि बदले से कभी भी आत्म -संतुष्टि या कल्याण नही होता इससे होता है विनाश ......और सिर्फ़ विनाश बदले की भावना से किए गए कार्य आज तक किसी के लिए भी हितकर नही हुए ,न उस व्यक्ति के लिए जो बदला लेता है और न उस व्यक्ति के लिए जो बदले का पात्र बनता है

व्यक्ति को यह भ्रम होता है कि वह बदला लेकर ही चैन की नीद सोएगा पर हकीकत यह है कि वह बदला लेकर और भी बेचैन हो जाता है कभी कानून से बचने के लिए परेशान तो कभी आत्म -अपराध से परेशान चैन कहीं नही यदि कानून की पकड़ मैंआ गए और दंड पा गए तो ठीक अन्यथा आत्म ग्लानी मैं तिल -तिल कर जलना पड़ता है और जीवन घोर नर्क बन जाता है

बदला लेने वाला व्यक्ति जितना शक्ति शाली और सामर्थ्य वाला होता है बदला भी उतना ही विनाशकारी होता है प्रतिशोध की भावना इतनी प्रबल होती है कि यह जन्म -जन्मान्तर तक भी पीछा नही छोड़ती लेकिन एक बात निश्चित है ,प्रामादित है कि बदला और विनाश एक ही सिक्के के दो पहलू हैं महाभारत का युद्घ द्रौपदी के अपमान का बदला था ,युवराज दुर्योधन के अपमान का बदला था समस्त कौरवों के साथ -साथ ग्यारह अक्शौहिदी सेना भी इसके विनाश मैं समाहित हो गयी

अम्बा ने अपना बदला भीष्म से पुनर्जन्म लेकर लिया शिखंडी के रूप मैं उसने किसका भला किया ?न अपना ,न परिवार का ?भीष्म के विनाश का आदि बना शिखंडी और स्वयम भी इस युद्घ की विभीषिका मैं समां गया
आदि काल से लेकर आधुनिक काल तक आए दिन लोग इसकी आग मैं जल रहे हैं कही बदला लेने के लिए मित्र ,मित्र को मार रहा है ,भाई -भाई को मार रहा है ,पति पत्नी को मौत की नीद सुला रहा है तो पत्नी भी पीछे नही है साम ,दाम दंड ,भेद कोई इसी नीति नही है जिसका प्रयोग इसके लिए न किया जा रहा हो छल से ,बल से ,तकनीकी से ,धन से हर तरीके से मनुष्य बदला लेने मैं लगा है ,फ़िर चाहे वह स्वयं ही उसमें भस्म क्यों न हो जाए

सिर्फ़ शक्ति ही बदले की भावना को प्रबल नही करती बल्कि कमजोर से कमजोर व्यक्ति भी बदले लेने के विभिन्न तरीके दुंद लेते हैं अभी हाल मैं घटित घटना ने तो हिला कर रख दिया हिजडों के एक समूह ने बच्चे के जन्म पर बच्चे के पिता से हैसियत से ज्यादा मांग की इस पर दोनों मैं कहा -सूनी हो गयी हिजडों ने उस अपमान का बदला उस मासूम बच्चे के पिता को नामर्द बना कर लिया और उसे भी नाचने -गाने के लिए मजबूर कर दिया मृत्यु दंड भी इसे अपराधियों के लिए कम है

बदला लेना और बदला चुकाना ,दोनों विपरीत शब्द हैं जहां एक का भाव ईर्ष्या ,द्वेष ,जलन ,घृणा से पूर्ण होता है ,वही दूसरा कृतज्ञता व् एहसान के भाव को दर्शाता है बदला लेना व्यक्ति के अपराध भावःऔर विचारों की संकीर्णता को दिखलाता है ,वही बदला चुकाना व्यक्ति के सहृदय ,विशाल दृष्टि कोण और सज्जनता का प्रतीक है बदला लेने से शत्रुता बदती है तो बदला चुकाने से प्यार कहीं -कहीं बदला चुकाने को बदला लेने के अर्थ मैं भी प्रयोग किया जाता है वहां बदला लेने की भावना उस सीमा से गुजर जाती है जहां इंसानियत बाकी होती है तभी बदला लेने को बदला चुकाना मान लिया जाता है

कैसे बचा जाए इस विनाशकारी प्रश्न से ?उत्तर एक और ............सिर्फ़ एक है -क्षमा .........

क्षमा वह भावः है जो बदले की उफनती भावना को शीतलता प्रदान करता है सहृदयता और मानवता की भावना फैलाता है मन के अन्दर व्याप्त जहर की तासीर को कम करता है हिंसा का प्रत्युत्तर अहिंसा ही है ,यदि हिंसा ही रहा तो यह आग बढ़ती ही जाएगी यदि कहीं सुकून मिल सकता है तो सिर्फ़ क्षमा से ,सहृदयता से प्यार से ,अपनेपन से

क्षमा करने से व्यक्ति का क्रोध कम होता है ,मन को शान्ति मिलती है ,मानवता की भावना का प्रसार होता है बदला वह है जो बदल दे चाहे वह भावना हो या कार्य

क्षमा करो ,सृजन करो ,कल्याण करो ,भला करो तभी यह बदले की भावना मिट सकेगी

समाप्त

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