मंगलवार, 9 जून 2009

चापलूसी करो आगे बढो- पक्ष

पक्ष
२१वी सदी में हर कोई एक दूसरे से आगे बढ़ने की होड़ में लगा रहता है हर कोई किसी भी तरह आगे बढ़ना चाहता है चाहे पैर पकड़ने पडें या gला ऊँचाई या वाहवाही किसे पसंद नही ,इसके लिए थोड़ी सी चापलूसी करने में हर्ज ही क्या है ? आज -कल मुंह में राम बगल में छुरी लिए कौन नही घूमता ?आज चापलूसी कौन नही करता ?हम सभी अपना काम निकलवाने के लिए थोड़ी सी चापलूसी तो करते ही हैं कोई नेताओं की चापलूसी करता है तो कोई अध्यापकों की कोई वकीलों की तो कोई अधिकारीयों की
आज कल चापलूसी बन्दूक से भी बढ़ कर हथियार है जो काम बन्दूक की नोक पर भी नही हो सकता वहचापलूसी क्षण भर में कर देती है प्रश्न उठता है कि आख़िर चापलूसी है क्या ?किसी भी व्यक्ति की इतनी झूठी प्रशंसा करना जिसका वह हकदार नही, चापलूसी कहलाता है चापलूसी में कोई तीर नहीं चलाने पड़ते बस इसके लिए हमारी जीभ रुपी तलवार ही काफी है जो सामने वाले के दिल को भेद देती है \और उसे हमारी बात ,मानने के लिए मजबूर कर दे यही चापलूसी का करिश्मा है
चापलूसी करने के फायदे भी बहुत हैं जहाँ रुपयों से काम हो ,वहाँ चापलूसी से ही काम बन जाता है कोई सिफारिश करवानी है तो चापलूसी से अच्छा नुस्खा नहीं कुछ नाम कमाना है तो आवश्यक है आज हमारे देश में चापलूसी का ही बोलवाला है आज के युग में मेहनत और योग्यता के साथ -साथ चापलूसी भी आवश्यक है सफलता की सीडी चढ़ने के लिए चापलूसी इसके इसके इसके सहारा है बिना इसके मेहनत और काविलियत पानी भरते नजर आते हैं
आज लोग अपने बौस को मस्का लगा कर खुश रखते हैं इसके लिए कुछ उपहारों का ,फलों का ,घर मैं बनी वस्तुओं का ,मिठाई का प्रयोग करना आवश्यक है कुछ और बातें भी याद रखनी जरूरी है ,जैसे -बौस का जन्म दिन ,शादी की सालगिरह ,उनकी पसंद -नापसंद ,बच्चों का जन्म दिन इनके अतिरिक्त तीज -त्योहारों पर उपहारों की सौगातों से वह मक्खन लगता है की आप भी उसकी चिकनाहट देख कर हैरान रह जाएँगे आपको यदि मेरी बात पर विश्वास न हो तो आजमा कर देख लीजिए मौज कीजिए और हमारी कॉम मैं शामिल हो जाईए










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