शुक्रवार, 5 जून 2009

विद्यार्थी जीवन में राजनीति छात्रों को पथ भ्रष्ट कर देती है

पक्ष

'हम लाए हैं तूफान से किश्ती निकाल के ,
इस देश को रखना मेरे बच्चो संभाल के '

ये पंक्तियाँ उन अमर शहीदों कीओर से कही गयी हैं जिन्होंने अपना सर्वस्व बलिदान करके भारत को आजादी दिलाई उन्होंने सोचा था कि हम अपने देश वासियों को एक आजाद देश देकर जा रहे हैं आगे आने वाली पीडी इस देश को संभालेगी तथा दे श को उन्नति के रास्ते पर ले जायेगी

क्या सच में यही हो रहा है ?क्या हम वाकई उन शहीदों की भावना पर खरे उतरे हैं ?नहीं ..........आज समाज की हालत देख कर डर लगने लगता है आए दिन विभिन्न प्रकार के घोटाले -कभी चारा घोटाला ,कभी चीनी घोटाला ,कभी बोफोर्स घोटाला नित नए घोटालों ने राजनीति को भ्रष्टता की चरम सीमा तक पहुंचा दिया है नेताओं की मनमानी ने ,उनके लालच ने ,उनकी अंधी ताकतों के प्रभाव ने विद्यार्थियों को भी इस दलदल की ओर मृग त्रष्णा की भांति आकर्षित किया है विद्यार्थियों की नासमझी नेताओं के कम आतीं हैं वे अपना उल्लू सीधा करने के लिए छात्रों को भविष्य के सुनहरे सपने दिखा कर उनका दुरूपयोग करते हैं

कोलेजों में होने वाले इलेक्शन इस बात का प्रमाण है कि आज युवा वर्ग राजनीति पर लाखों रूपये खर्च करता है और करोडों बनता है सत्य तो यह है कि राजनीति के बहाने वह कूटनीति सीखता है कब ,कैसे ,किसे बलि का बकरा बनाया जाए ,सम्पति को कैसे हडपा जाए ,यही सब सीख कर वह अपनी बुद्धि और शक्ति का दुरूप योग करता है विद्यार्थी परिषद में चुने जाने पर उनका जीवन कुछ ही दिनों में बदल जाता है

चमचमाती गाडियां और बिना मेहनत के मिले रुपयों से जिन्दगी गलत राह पर चल पडती है चमचे छाप लोगों का साथ उन्हें दम्भी और अहंकारी बना देता है ये इलेक्शन उन्हें साम ,दाम ,दंड ,भेद सभी नीतियां सिखा देता है वे छात्र जीवन में ही गुंडा गर्दी में महारथ हासिल कर लेते हैं

सत्य तो यह है कि राजनीति का अर्थ मनमानी या शक्ति का प्रदर्शन नहीं है अपितु निस्वार्थ भावना ,निष्पक्ष विचार और न्याय का साथ देना है परन्तु अफ़सोस की बात है कि आज यही बातें असम्भव हो गईं हैं

महोदय ,आज छात्र जीवन शिक्षा हेतु होना चाहिए वे पहले स्वयं को योग्य बनाएं तब कार्य क्षेत्र में प्रवेश करें क्योंकि अधुरा ज्ञान अज्ञानता से भी भयानक होता है अंत में युवा मित्रों से यही कहना चाहूँगा कि अपने लक्ष्य को पहचानो ,राजनीति के लिए जीवन में और भी मौके मिलेंगे नेता बनो तो देश की भलाई के लिए न कि स्वार्थ के लिए एक पढा -लिखा
व्यक्ति ही एक स्वस्थ और उन्नत देश बना सकता है अत;विद्यार्थी जीवन का सदुपयोग करो और अपने जीवन को राजनैतिक प्रपंचों से पथ भ्रष्ट होने से बचाओ
बात है सीधी मतलब दो ,
समाप्त और समझाने दो
अभी कच्चा है मेरा रस्ता ,
इस पथ को और सजाने दो,
बदल दूंगा तस्वीर देश की ,
मुझे पढ़ कर आने दो


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